ज़िन्दगी का एक और साल पूरा हुआ कहीं खुशिया थी तो कहीं गम साथ हुआ
देखो फिर से रात आ गयी गूड नाईट कहने की बात याद आ गयी बैठे थे गुम सुम होकर चाँद को देखा तो तुम्हारी याद आ गयी ।
कर्म की भूमी पर, किस्मत के फूल खिलते हैं, नसीब अगर बुलंदी पर हो तो ही ब्राह्मण के घर जन्म मिलते हैं।
कितना भी लिखो इसके लिये कम है, सचहै ये कि ” माँ ” तू है, तो हम है..शुभ नवरात्रि