Rahat Indori Shayari – Best Shayari in Hindi – Love Shayari
Rahat Indori Shayari
बुलाती है मगर जाने का नहीं – राहत इंदौरी Lyrics In Hindi

बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ।
Rahat indori Shayari in Hindi
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।

उसको रुखसत तो किया था मुझे मालूम न था,
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला,
इक मुसाफिर के सफर जैसी है सब की दुनिया,
कोई जल्दी में कोई देर से जाने वाला।
यार तो आइना हुआ करते हैं यारों के लिए,
तेरा चेहरा तो अभी तक है नकाबों वाला,
मुझसे होगी नहीं दुनिया ये तिजारत दिल की,
मैं करूँ क्या कि मेरा जहान है ख्वाबों वाला।

दिलों की बंद खिड़की खोलना अब जुर्म जैसा है,
भरी महफिल में सच बोलना अब जुर्म जैसा है,
हर एक ज्यादती को सहन कर लो चुपचाप,
शहर में इस तरह से चीखना जुर्म जैसा है।
Rahat indori Love Shayari

कश्ती है पुरानी मगर दरिया बदल गया,
मेरी तलाश का भी तो जरिया बदल गया,
न शक्ल बदली न ही बदला मेरा किरदार,
बस लोगों के देखने का नजरिया बदल गया।
काफिरों को कभी भी जन्नत नहीं मिलती,
यही सोचकर हमसे मोहब्बत नहीं मिलती,
कोई शाख से तोड़े तुम्हें तो टूट जाना तुम,
खुद-ब-खुद टूटे तो इज्जत नहीं मिलती।
राहत इंदौरी शायरी हिंदी 2 लाइन
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो,
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो !
राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें,
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो !

गुलाब, ख्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या हैं,
में आ गया हु बता इंतज़ाम क्या क्या हैं !
फ़क़ीर, शाह, कलंदर, इमाम क्या क्या हैं,
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या हैं !
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं !
ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी,
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं !

जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं,
जो लोग भूल नहीं करते भूल करते हैं !
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का,
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं !
नए सफ़र का नया इंतज़ाम कह देंगे,
हवा को धुप, चरागों को शाम कह देंगे !
किसी से हाथ भी छुप कर मिलाइए,
वरना इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे !
इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए,
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए !
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