Arthritis in Hindi – Arthritis Meaning in Hindi – आर्थराइटिस
Arthritis in Hindi
संधि शोथ यानि “जोड़ों में दर्द” (लैटिन, जर्मन, अंग्रेज़ी: Arthritis / आर्थ्राइटिस) के रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया भी कहते हैं।

गठिया का मुख्य कारण अनुचित आहार होता है। जैसे अधिक मात्रा में मांस, मछली, अत्यधिक मसालेदार भोजन शराब और फ्रूक्टोज युक्त पेय पदार्थों का सेवन। इसके अलावा हमारे शरीर में आई चयापचय (Metabolism) में खराबी के कारण और मोटापा के कारण भी अर्थराइटिस होता है।
अर्थराइटिस कितने प्रकार के होते हैं?
आर्थराइटिस के 100 से अधिक प्रकार हैं लेकिन 3 बेहद कॉमन हैं– ऑस्टियो आर्थराइटिस, रुमेटाइड आर्थराइटिस और गाउट
गठिया के घरेलु उपचार क्या है ?
- नींबू का रस – नींबू में बहुत से एंटीवायरल, एंटी जीवाणु रोधक, एंटी फंगल इत्यादि गुण होते है। …
- बथुवा का रस – बथुवा एक तरह की हरी पत्ती वाली सब्जी है। …
- एलोवेरा जेल – एलोवेरा जेल को बहुत से रोगो का औषधी मानी जाती है।
प्रोटीन युक्त आहार: गठिया के मरीजों को अपनी डाइट में प्रोटीन युक्त भोजन को विशेष अहमियत देना चाहिए। सोया बड़ी, पनीर, टोफू, अंडा जैसे खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करें। इसके अलावा, मरीजों के लिए मशरूम, ब्राउन राइस, ओट्स, गेहूं के अंकूर, अजवायन और लहसुन खाना भी फायदेमंद होगा।

गठिया रोग मूलत: प्यूरिन नामक प्रोटीन के मेटाबोलिज्म की विकृति से होता है. खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. व्यक्ति जब कुछ देर के लिए बैठता या फिर सोता है तो यही यूरिक एसिड जोड़ों में इकठ्ठा हो जाते हैं, जो अचानक चलने या उठने में तकलीफ देते हैं.
घर पर गठिया का उपचार और देखभाल – गठिया को रोकने या इसके दर्द से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपाय अपना सकते हैं. रोजाना कम से कम 3 से 4 तुलसी के पत्ते खाएं या इसकी चाय का सेवन करें, चौबीस घंटे के अंदर प्रभावित जोड़ों की सूजन कम हो जाती है. गठिया को दूर करने वाले गुण होने के कारण तुलसी का इसके उपचार में दुनियाभर में इस्तेमाल किया जाता है
गठिया बाई के क्या लक्षण – गठिया रोग के मुख्य लक्षण हैं; जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न का आना। इसके कारण सामान्य लक्षण दिखाई देने लगते हैं और शरीर के अन्य भागों में सूजन बढ़ सकती है। अकसर गठिया रोग के लक्षण धीरे-धीरे और कई हफ्तों में बढ़ते हैं, लेकिन कुछ मामलों में ये बढ़त जल्दी देखने को मिल सकती है।
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